नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की स्मृति में (जन्मदिन: २३ जनवरी, १८९७)
डर डर कर चलना, फूँक फूँक कर पैर रखना
क्यों ? क्या इससे भविष्य में कोई परेशानी
नहीं होगी इसीलिए डर डर कर जीना !
मैं किसी बवाल का सबब क्यों बनू ?
यही न कहना चाहते हो तुम
ठीक है उनलोगों की तरह नहीं बनो
जिनसे तुम्हे परहेज़ है,
लेकिन अपनी अंतरात्मा से पूछ कर देखो
कितनी बजती हुई तारो को
तुमने तोड़ दिया
तुमको इसका भान नहीं है
की मरम्मत करने के बाद भी
इनसे वो आवाज़ नहीं निकलेगी
जो एक दिन तुम्हारे व्यक्तित्व
की पहचान हुआ करती थी l
शांति की खोज में निकले हो न ?
शांति का मतलब अपनी आवाज़
को दबाना, उसका गला घोंटना नहीं होता है l
किसी अच्छे मनुष्य के मारने पर
शांति नहीं होती, रिक्तता पैदा होती है l
और जिनसे तुम परहेज़ करते हो
उनकी आवाजें इस दुनिया में
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रदूषण
पैदा करने के लिए स्वतन्त्र हो जाती हैं l
अपनी सोच को आवाज़ दो
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